राजस्थान के नागौर जिले के झाड़ेली गांव में एक ऐतिहासिक मायरा (भात) भरा गया है, जिसने सामाजिक परंपराओं और भव्यता के मामले में नए मानक स्थापित किए हैं। यह मायरा न केवल परिवार की समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर को भी दर्शाता है।

मायरा की परंपरा और महत्व
राजस्थान में मायरा एक महत्वपूर्ण सामाजिक परंपरा है, जिसे विवाह के अवसर पर निभाया जाता है। इसमें ननिहाल पक्ष (मामा, मामी) अपने भांजे या भांजी को उपहार, नकद राशि, आभूषण और अन्य मूल्यवान वस्तुएं प्रदान करते हैं। यह परंपरा पारिवारिक संबंधों को मजबूत करने और सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने का कार्य करती है।
झाड़ेली गांव में भरा गया ऐतिहासिक मायरा
झाड़ेली गांव में हाल ही में एक ऐसा मायरा भरा गया, जिसने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। इस मायरे में कुल 21 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति दी गई, जिसमें शामिल हैं:
- नकद राशि: 2.21 करोड़ रुपये
- सोना और चांदी: 1 किलो सोना और 14 किलो चांदी
- भूमि और संपत्ति: 100 बीघा कृषि भूमि और एक कीमती रिहायशी प्लॉट
- अन्य उपहार: नए ट्रैक्टर-ट्रॉली, घी से भरे घड़े, गुड़ के कट्टे और अन्य पारंपरिक वस्तुएं
इस मायरे में लगभग 1,000 वाहनों का काफिला शामिल था, जिसमें बैलगाड़ी, ट्रैक्टर, ऊंटगाड़ी और लग्जरी कारें शामिल थीं। यह काफिला करीब 2 किलोमीटर लंबा था, जो इस आयोजन की भव्यता को दर्शाता है।
सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव
झाड़ेली गांव में भरा गया यह मायरा न केवल एक परिवार की समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि यह राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को भी जीवित रखता है। इस आयोजन ने समाज में एकजुटता, पारिवारिक संबंधों की मजबूती और सामाजिक प्रतिष्ठा के महत्व को पुनः स्थापित किया है।
इस मायरे की भव्यता और परंपरा ने न केवल झाड़ेली गांव, बल्कि पूरे राजस्थान को गौरवान्वित किया है। यह आयोजन यह सिद्ध करता है कि पारंपरिक परंपराएं समय के साथ भी अपनी महत्ता बनाए रख सकती हैं और समाज में सकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।