मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में स्थित एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय में हाल ही में जो घटना घटी, उसने पूरे शिक्षा जगत को शर्मसार कर दिया। यहां की महिला प्राचार्य प्रवीण दहिया और महिला लाइब्रेरियन मधुरानी के बीच मामूली विवाद ने इतना तूल पकड़ लिया कि स्कूल परिसर ही जंग का अखाड़ा बन गया। दोनों के बीच जमकर थप्पड़, बाल पकड़कर घसीटना, मोबाइल तोड़ना और गाली-गलौच जैसी घटनाएं हुईं, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया।

घटना की शुरुआत: कैसे बढ़ा विवाद
यह घटना खरगोन जिला मुख्यालय से लगभग 8 किलोमीटर दूर स्थित केंद्र सरकार द्वारा संचालित शासकीय एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय, मेनगांव में हुई। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, प्राचार्य और लाइब्रेरियन के बीच कार्य विभाजन और व्यक्तिगत ईगो को लेकर पहले से ही मतभेद चल रहे थे। इसी बीच किसी मुद्दे पर दोनों के बीच कहासुनी शुरू हुई, जो देखते ही देखते हाथापाई में बदल गई।
दोनों महिला शिक्षिकाएं एक-दूसरे के खिलाफ मोबाइल से वीडियो रिकॉर्डिंग करने लगीं। इसी दौरान प्राचार्य प्रवीण दहिया ने लाइब्रेरियन मधुरानी को थप्पड़ मार दिया और उसका मोबाइल छीनकर तोड़ दिया। इसके बाद दोनों ने एक-दूसरे के बाल पकड़कर घसीटा, थप्पड़ मारे और दीवार से धक्का दिया।
वीडियो वायरल: शिक्षा का मंदिर बना अखाड़ा
इस पूरी घटना का वीडियो वहां मौजूद अन्य स्टाफ और प्राचार्य के बेटे ने भी रिकॉर्ड किया। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि दोनों महिला शिक्षक एक-दूसरे की चोटी पकड़कर मारपीट कर रही हैं, गाली-गलौच कर रही हैं और मोबाइल से वीडियो बनाने की बात कह रही हैं। मारपीट इतनी बढ़ गई कि एक महिला कर्मचारी को बीच-बचाव के लिए आना पड़ा, लेकिन तब तक दोनों को काफी चोटें आ चुकी थीं।
“खरगोन का एक स्कूल उस समय जंग का अखाड़ा बन गया जब दो महिला टीचरों के बीच जमकर मारपीट हो गई। दोनों ने एक दूसरे का बाल पकड़कर खींचा और एक दूसरे पर जमकर थप्पड़ बरसाए।
मामला थाने और अस्पताल तक पहुंचा
मारपीट के बाद दोनों शिक्षिकाएं अलग-अलग समय पर मेंगांव थाने पहुंचीं और एक-दूसरे के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने दोनों के बयान दर्ज किए और मेडिकल जांच के लिए जिला अस्पताल भेजा। वहां प्राचार्य दहिया को आईसीयू में भर्ती किया गया, जबकि लाइब्रेरियन मधुरानी को भी वार्ड में भर्ती किया गया।
पुलिस और प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लिया और विभागीय जांच शुरू कर दी गई। थाना प्रभारी पंकज तिवारी के अनुसार, विवाद की शुरुआत किताबों के लेन-देन और जिम्मेदारियों को लेकर हुई थी, जो बाद में व्यक्तिगत ईगो और कार्य विभाजन के कारण बढ़ गई।
प्रशासन की सख्त कार्रवाई
जैसे ही यह मामला कलेक्टर भव्या मित्तल के संज्ञान में आया, उन्होंने तत्काल कार्रवाई करते हुए दोनों महिला शिक्षिकाओं को स्कूल से हटाने के आदेश जारी कर दिए। दोनों को जनजातीय कार्य विभाग के सहायक आयुक्त प्रशांत आर्य के कार्यालय में अटैच कर दिया गया है। साथ ही, वरिष्ठ कार्यालय को इनके विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा भी भेजी गई है।
सहायक आयुक्त प्रशांत आर्य के अनुसार, प्रारंभिक जांच में विवाद की वजह व्यक्तिगत ईगो और कार्य विभाजन को लेकर मतभेद पाई गई है। अभी तक यौन उत्पीड़न जैसी कोई बात सामने नहीं आई है।
लाइब्रेरियन के आरोप और स्कूल का पुराना विवाद
लाइब्रेरियन मधुरानी ने प्राचार्य पर आरोप लगाया कि वह उन पर झूठे साइन करवाने का दबाव बना रही थीं और प्राचार्य का बेटा स्कूल परिसर में बेवजह घूमता है व अशोभनीय इशारे करता है। इस संबंध में उन्होंने कमिश्नर को भी शिकायत दी है।
यह स्कूल पहले भी विवादों में रहा है। यहां बच्चों की पढ़ाई और आवासीय व्यवस्था के लिए सालाना 5 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की जाती है, फिर भी कई बार छात्रों की शिकायतों और अनियमितताओं के चलते यह स्कूल चर्चा में रहा है।
समाज और शिक्षा व्यवस्था पर सवाल
इस घटना ने पूरे समाज और शिक्षा व्यवस्था को झकझोर दिया है। जिस जगह को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है, वहां इस तरह की घटनाएं बच्चों के मन पर गलत असर डालती हैं। स्कूल में मौजूद अन्य शिक्षक और कर्मचारी मूकदर्शक बने रहे, किसी ने भी समय रहते झगड़ा रोकने की कोशिश नहीं की। उल्टा कई लोग वीडियो बनाने में ही व्यस्त रहे।
प्रशासन की अगली कार्रवाई और जांच
फिलहाल दोनों महिला शिक्षिकाएं स्कूल से हटाई जा चुकी हैं और विभागीय जांच जारी है। कलेक्टर भव्या मित्तल ने स्पष्ट किया है कि जांच पूरी होने के बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। रिपोर्ट दिल्ली भेजी जा रही है, क्योंकि स्कूल केंद्र सरकार के अधीन संचालित होता है।
निष्कर्ष
खरगोन के एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय में महिला प्राचार्य और लाइब्रेरियन के बीच हुआ यह विवाद शिक्षा जगत के लिए एक बड़ा सबक है। यह घटना बताती है कि व्यक्तिगत ईगो, कार्य विभाजन और आपसी मतभेद किस तरह शिक्षा के माहौल को प्रभावित कर सकते हैं। प्रशासन की त्वरित कार्रवाई और जांच से उम्मीद है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और शिक्षा के मंदिर की गरिमा बनी रहे।