भारत में एडवेंचर टूरिज़्म तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। हर साल लाखों पर्यटक गर्मियों और सर्दियों की छुट्टियों में मनाली जैसे हिल स्टेशनों का रुख करते हैं, जहां ज़िपलाइन, रिवर राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग जैसे साहसिक खेलों का अनुभव लेना अब आम हो गया है। हालांकि, इन गतिविधियों में रोमांच जितना अधिक है, उतना ही जरूरी है सुरक्षा के नियमों का पालन। दुर्भाग्यवश, इन नियमों की अनदेखी कई बार जानलेवा साबित हो जाती है। ऐसा ही एक हृदयविदारक हादसा 8 जून 2025 को हिमाचल प्रदेश के मनाली में हुआ, जब एक 10 वर्षीय मासूम बच्ची ज़िपलाइन के दौरान अचानक हवा में गिर पड़ी। हादसे की शिकार त्रिशा बिजवे महाराष्ट्र के नागपुर की रहने वाली है। इस दुर्घटना ने न केवल एक परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया, बल्कि पूरे देश में एडवेंचर टूरिज्म की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।

घटना का विवरण
- तारीख: 8 जून 2025
- स्थान: मनाली, हिमाचल प्रदेश
- पीड़िता: त्रिशा बिजवे, उम्र 10 वर्ष, निवासी नागपुर
- परिवार के सदस्य: पिता प्रफुल्ल बिजवे, मां और अन्य परिजन
- गतिविधि: ज़िपलाइन (Zipline Adventure Activity)
मनाली की इस प्रसिद्ध पर्यटक ज़िपलाइन साइट पर त्रिशा अपने परिवार के साथ गर्मियों की छुट्टियां मनाने पहुंची थी। उस दिन वे एक ज़िपलाइन राइड के लिए गए थे, जो पर्यटकों के लिए बनाए गए एक साहसिक स्थल का हिस्सा थी।
हादसा कैसे हुआ?
परिवार और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, ज़िपलाइन बेल्ट के टूटने का यह हादसा उस वक्त हुआ, जब त्रिशा हवा में ज़िपलाइन पर बंधी हुई थी। अचानक सुरक्षा केबल या बेल्ट टूट गई और बच्ची लगभग 30 फीट की ऊंचाई से नीचे गहरी खाई में गिर गई। गिरते ही वह गंभीर रूप से घायल हो गई, खासतौर पर उसके पैर में कई जगह फ्रैक्चर हो गया।
इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि किस प्रकार सुरक्षा बेल्ट टूटती है और बच्ची नीचे गिरती है। इस वीडियो को देखकर आम लोग भी सन्न रह गए हैं।
घटना के बाद की स्थिति
चिकित्सा व्यवस्था में लापरवाही
हादसे के बाद जो बात सबसे ज्यादा परेशान करने वाली रही, वह थी तत्काल चिकित्सा सहायता का अभाव। परिवार के अनुसार, साइट पर कोई एंबुलेंस, प्राथमिक चिकित्सा किट या प्रशिक्षित स्टाफ मौजूद नहीं था। हादसे के बाद कई मिनटों तक बच्ची दर्द से तड़पती रही लेकिन कोई सहायता नहीं मिली।
इलाज की प्रक्रिया
- प्रारंभिक इलाज – मनाली: सबसे पहले त्रिशा को मनाली के नजदीकी अस्पताल में ले जाया गया। वहां उसे शुरुआती प्राथमिक उपचार दिया गया, लेकिन उसकी स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने सुझाव दिया कि उसे बेहतर सुविधा वाले बड़े अस्पताल में रेफर किया जाए।
- स्थानांतरण – चंडीगढ़: इसके बाद त्रिशा को चंडीगढ़ के एक बड़े अस्पताल में शिफ्ट किया गया, लेकिन वहां भी उचित आराम न मिलने पर परिवार ने निर्णय लिया कि उसे नागपुर के एक निजी अस्पताल में इलाज के लिए लाया जाएगा।
- वर्तमान स्थिति – नागपुर: वर्तमान में त्रिशा का नागपुर के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, बच्ची की हालत गंभीर बनी हुई है, और उसे लम्बे समय तक निगरानी में रखा जाएगा।
परिवार की पीड़ा और आक्रोश
इस घटना ने बिजवे परिवार को अंदर से तोड़ दिया है। बच्ची की गंभीर स्थिति, इलाज की प्रक्रिया, सुरक्षा उपायों की कमी और प्रशासन की लापरवाही से पूरा परिवार आक्रोशित है।
परिजनों के आरोप:
- ज़िपलाइन साइट पर कोई सुरक्षा निरीक्षण नहीं था।
- बेल्ट/क्लिप पुरानी और जर्जर हालत में थी।
- कोई प्रशिक्षित गाइड या मेडिकल स्टाफ मौजूद नहीं था।
- हादसे के बाद कोई मदद नहीं मिली, परिवार को स्वयं व्यवस्था करनी पड़ी।
मां-बाप का बयान:
“हमने बेटी के चेहरे पर पहली बार डर और दर्द को एक साथ देखा। हमने सोचा कि छुट्टियों में उसे खुशी देंगे, लेकिन ये जगह हमारे लिए कभी न भूल पाने वाला दुख बन गई।”
जवाबदेही और प्रशासनिक लापरवाही
यह घटना एक बार फिर एडवेंचर टूरिज़्म की सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है। यह स्पष्ट रूप से मानव लापरवाही का मामला है। अगर समय रहते सुरक्षा जांच की जाती, उपकरणों की गुणवत्ता देखी जाती और प्रशिक्षित स्टाफ की तैनाती होती, तो शायद यह हादसा टल सकता था।
क्या-क्या होना चाहिए था?
- हर ज़िपलाइन साइट पर अनिवार्य सुरक्षा जांच
- IS प्रमाणित उपकरणों का उपयोग
- प्रशिक्षित स्टाफ और डॉक्टरों की मौजूदगी
- इमरजेंसी प्लान और मेडिकल बैकअप
देशभर में जागरूकता की जरूरत
यह हादसा मनाली तक सीमित नहीं है। देश के कई हिस्सों में एडवेंचर गतिविधियों का संचालन बगैर सुरक्षा मानकों के किया जाता है। जब तक सरकार और प्रशासन इस क्षेत्र में सख्त नियम नहीं बनाएंगे और उनका पालन नहीं कराएंगे, तब तक इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी।
क्या बदलाव जरूरी हैं?
- राष्ट्रीय स्तर पर एडवेंचर एक्टिविटीज के लिए लाइसेंसिंग व्यवस्था
- प्रत्येक साइट की समय-समय पर जांच
- सार्वजनिक जानकारी उपलब्ध कराना: जैसे साइट सुरक्षित है या नहीं
- नाबालिग बच्चों के लिए अलग मानक
मीडिया और सोशल मीडिया का प्रभाव
इस हादसे का वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, हजारों लोगों ने अपनी नाराजगी जताई और सवाल उठाए। कई लोगों ने एडवेंचर टूरिज़्म पर नियमों की मांग की और सरकार से सख्त कार्रवाई की अपील की।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर #JusticeForTrisha ट्रेंड करने लगा, जिसमें लोगों ने सुरक्षा उपायों की कमी पर नाराजगी जताई।
कानूनी पहलू और परिवार की मांग
बिजवे परिवार ने साफ तौर पर कहा है कि वे ज़िपलाइन संचालकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे। उन्होंने FIR दर्ज कराई है और सरकार से मांग की है कि:
- संचालकों के खिलाफ आपराधिक लापरवाही का मामला दर्ज किया जाए।
- अन्य साइट्स पर जांच अभियान चलाया जाए।
- त्रिशा के इलाज में सरकारी मदद दी जाए।
निष्कर्ष
10 वर्षीय त्रिशा के साथ हुआ यह हादसा सिर्फ एक बच्ची की पीड़ा नहीं है, बल्कि यह पूरे सिस्टम की विफलता का उदाहरण है। मनाली जैसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों पर यदि सुरक्षा की इतनी भारी चूक होती है, तो देशभर में हालात की कल्पना की जा सकती है।
समाज और सरकार को यह समझना होगा कि:
- रोमांच के साथ ज़िम्मेदारी जरूरी है।
- व्यवसायिक लाभ के चक्कर में मानव जीवन को खतरे में डालना अपराध है।
- ऐसी घटनाओं से सीख लेकर तुरंत सुधार जरूरी है, वरना कल को यह किसी और के साथ भी हो सकता है।
त्रिशा जल्द ठीक हो, यही कामना करते हैं। साथ ही आशा है कि यह घटना सिस्टम को झकझोरने के लिए पर्याप्त होगी और एडवेंचर टूरिज़्म को लेकर नए सुरक्षा मानक और जवाबदेही तय किए जाएंगे।
यदि आप चाहें तो इस विषय पर एक शिकायत पत्र, मीडिया रिपोर्ट, RTI आवेदन या जागरूकता अभियान का प्रारूप भी मैं तैयार कर सकता हूँ।