Monday

11-08-2025 Vol 19

सलमान ने नाम बदलकर हिंदू लड़की को फंसाया, बलात्कार कर इस्लाम कबूल कराया; अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई।

भारत विविधताओं का देश है, जहाँ विभिन्न धर्म, जाती एवं समुदाय सदियों से एक साथ निवास करते आए हैं। किंतु समय-समय पर धार्मिक आधार पर सामाजिक सौहार्द को चुनौती देने वाले घटनाक्रम भी सामने आते रहे हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार ने 2021 में जब ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2020’ में संशोधन किया और ‘लव जिहाद’ को संज्ञेय अपराध घोषित किया, तब से इस विषय पर सार्वजनिक बहस और संवेदनशीलता दोनों ही बढ़ी हैं।

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले से सामने आए एक लव जिहाद के मामले में अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इस मामले में एक मुस्लिम युवक ने हिंदू नाम अपनाकर एक युवती को अपने प्रेमजाल में फंसाया, फिर उसके साथ दुष्कर्म किया और जबरन धर्मांतरण का प्रयास किया। यह मामला देवा थाना क्षेत्र से जुड़ा है, जहाँ पीड़िता के भाई ने थाना जाकर शिकायत दर्ज कराई थी कि लखनऊ के इटौंजा क्षेत्र का रहने वाला युवक सलमान खुद को ‘सुमित’ नाम से प्रस्तुत कर उसकी बहन को बहला-फुसलाकर भगा ले गया। यह घटना 13 दिसंबर 2023 की बताई गई, जिस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए पुलिस ने आरोपी के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया। पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी ने जानबूझकर हिंदू नाम धारण कर युवती को गुमराह किया और प्रेम का नाटक करते हुए दुष्कर्म किया। इसके बाद उस पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाने के आरोप भी साबित हुए। पुलिस ने आरोपी सलमान के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (दुष्कर्म), 363 (अपहरण), 420 (धोखाधड़ी), साथ ही दलित उत्पीड़न अधिनियम और उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम (2021 में संशोधित लव जिहाद कानून) के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया। इस कानून के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति छल, दबाव, या जबरदस्ती से धर्म परिवर्तन करवाता है या करवाने का प्रयास करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रावधान है। विशेष रूप से जब यह घटना किसी अनुसूचित जाति या जनजाति वर्ग की महिला के साथ होती है, तो अपराध और भी संगीन माना जाता है। कोर्ट में पेश किए गए सबूतों, पीड़िता के बयान, मेडिकल रिपोर्ट, डिजिटल चैट्स और कॉल रिकॉर्ड ने यह प्रमाणित किया कि आरोपी ने सुनियोजित तरीके से पीड़िता को झांसे में लिया और उसके साथ क्रूरतापूर्वक शारीरिक शोषण किया। अपर जिला शासकीय अधिवक्ता कृपाशंकर तिवारी के अनुसार अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत गवाहों की गवाही और सबूतों ने अदालत को संतुष्ट किया कि यह अपराध न केवल व्यक्तिगत स्तर पर किया गया छल है बल्कि यह सामाजिक और धार्मिक ताने-बाने को प्रभावित करने का भी गंभीर प्रयास है। विशेष एससी-एसटी न्यायालय की न्यायाधीश वीना नारायण ने सभी पक्षों को सुनने के बाद आरोपी को दोषी ठहराया और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही ₹80,000 का जुर्माना भी लगाया गया है। यह जुर्माना पीड़िता को मुआवजे के तौर पर दिए जाने का निर्देश दिया गया है ताकि उसे मानसिक, सामाजिक और आर्थिक सहायता मिल सके। इस सजा से यह स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार ने महिला सुरक्षा और धार्मिक छल के खिलाफ कठोर कदम उठाने की प्रतिबद्धता दिखाई है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने 2021 में लव जिहाद कानून में महत्वपूर्ण संशोधन किया था। इस संशोधन के अनुसार, पहले जहां अधिकतम सजा 10 साल थी, वहीं अब गंभीर मामलों में आजीवन कारावास तक का प्रावधान जोड़ा गया है। यह कानून राज्य की महिलाओं को छल, भ्रम और जबरन धर्मांतरण जैसी गतिविधियों से सुरक्षा देने की मंशा से बनाया गया था। यह प्रकरण इस बात का प्रमाण है कि कानून न केवल कागज़ों में बल्कि धरातल पर भी लागू किया जा रहा है और अपराधियों को कड़ी सजा दी जा रही है। न्यायपालिका द्वारा दिया गया यह फैसला समाज को एक कड़ा संदेश देता है कि धार्मिक पहचान छिपाकर महिलाओं को फंसाना, उनका शोषण करना और धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करना अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राज्य सरकार की नीतियाँ, पुलिस की सक्रियता, और न्यायपालिका की त्वरित सुनवाई ने यह दिखा दिया है कि उत्तर प्रदेश में अब ऐसे अपराधों के लिए कोई स्थान नहीं है। यह सजा उन लोगों के लिए चेतावनी है जो प्रेम के नाम पर छल करते हैं और धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ करते हैं। यह निर्णय केवल पीड़िता को न्याय दिलाने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह उन तमाम महिलाओं के लिए सुरक्षा कवच है जो ऐसे झूठे प्रेमजाल में फंसाई जाती हैं। यह समाज के लिए भी चेतावनी है कि धर्म के नाम पर छल करने वाले अब कानून की पकड़ से नहीं बच पाएंगे। इस पूरे प्रकरण में जिस प्रकार से राज्य सरकार, पुलिस प्रशासन और न्यायपालिका ने समन्वय से काम किया है, वह एक मिसाल बनकर सामने आया है। विशेष रूप से यह देखना उल्लेखनीय है कि मामले की त्वरित विवेचना हुई, अभियोजन पक्ष ने मज़बूती से केस रखा और कोर्ट ने बिना देरी किए न्याय सुनिश्चित किया। यह उस नए उत्तर प्रदेश की तस्वीर है, जहाँ महिलाओं की गरिमा सर्वोपरि है और अपराधियों के लिए कोई राहत नहीं है। साथ ही यह भी दिखाता है कि अब कानून का डर अपराधियों के दिलों में बैठ चुका है। लव जिहाद जैसे संवेदनशील मामलों में न्यायिक सख्ती से न केवल पीड़ितों को राहत मिलती है बल्कि समाज में विश्वास भी पैदा होता है कि सच की जीत होती है। यह फैसला समाज को यह भी याद दिलाता है कि धार्मिक स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है, लेकिन उसका दुरुपयोग कर किसी को भ्रमित करना, दबाव बनाना या धोखे से धर्म परिवर्तन करवाना अपराध है। ऐसे मामलों में सख्ती से निपटना केवल कानून का पालन नहीं है, बल्कि यह सामाजिक उत्तरदायित्व भी है। योगी सरकार ने यह संदेश स्पष्ट रूप से दे दिया है कि उत्तर प्रदेश में अब कानून का राज है, और महिलाएं सुरक्षित हैं। ऐसी घटनाओं में दोषियों को कानून के तहत कठोरतम सजा दी जाएगी और पीड़ितों को हर संभव सहायता मिलेगी। यह सख्त रुख न केवल अपराधों को रोकने में सहायक है बल्कि इससे समाज में एक सकारात्मक माहौल भी बनता है जिसमें हर वर्ग, विशेषकर महिलाएं, खुद को सुरक्षित महसूस कर सकती हैं। इस निर्णय ने यह भी साबित किया कि कानून यदि इच्छाशक्ति और निष्पक्षता से लागू किया जाए तो वह समाज में बड़ा बदलाव ला सकता है। यह सजा केवल एक व्यक्ति के लिए नहीं है, यह उन सभी के लिए संदेश है जो पहचान छिपाकर, भावनाओं से खेलकर, और धार्मिक छल के माध्यम से अपनी मंशा पूरी करना चाहते हैं। उत्तर प्रदेश में अब यह संभव नहीं है, क्योंकि यहाँ कानून न केवल सख्त है, बल्कि उसे लागू करने वाले भी पूरी संजीदगी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं। यह मामला और इसका निष्कर्ष समाज के लिए प्रेरणा है कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और कानून का भरोसा रखना चाहिए।

Deepak Rawat

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *