राजस्थान के जैसलमेर जिले में हाल ही में एक बड़ी जासूसी घटना का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें स्थानीय निवासी पठान खान को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यह गिरफ्तारी भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव, विशेषकर 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, जिसमें 26 भारतीय नागरिकों की जान गई थी।

आरोपी की पहचान और गिरफ्तारी
पठान खान, उम्र 40 वर्ष, जैसलमेर के मोहनगढ़ क्षेत्र के ज़ीरो आरडी इलाके का निवासी है। उसे 18 मार्च 2025 को प्रारंभिक पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था, जहाँ उसने खुद को “रवि किशन” नामक किसान बताया। हालांकि, विस्तृत जांच के बाद 1 मई को उसे आधिकारिक रूप से गिरफ्तार किया गया और उसके खिलाफ ‘आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 1923’ के तहत मामला दर्ज किया गया।
पाकिस्तान से संपर्क और जासूसी गतिविधियाँ
जांच में सामने आया कि पठान खान ने 2013 में पाकिस्तान की यात्रा की थी, जहाँ वह आईएसआई अधिकारियों के संपर्क में आया। उसे पैसे का लालच देकर जासूसी की ट्रेनिंग दी गई, और वह लगातार पाकिस्तान जाकर आईएसआई अधिकारियों से मिलता रहा। उसने भारतीय सेना और बीएसएफ की संवेदनशील जानकारियाँ, जैसे कि सैन्य गतिविधियाँ, सीमा पर तैनाती, और अन्य गोपनीय सूचनाएँ, सोशल मीडिया और व्यक्तिगत मुलाकातों के माध्यम से पाकिस्तान को भेजीं।
तकनीकी सहायता और वित्तीय लाभ
पठान खान ने जासूसी गतिविधियों के लिए भारतीय सिम कार्ड्स भी पाकिस्तानी एजेंट्स को प्रदान किए। उसे इसके बदले में नकद पैसे, उपहार (जैसे सोने की अंगूठी) और अन्य सुविधाएँ मिलीं। वह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करके संवेदनशील जानकारी साझा करता था, और उसके मोबाइल फोन में वीडियो और तस्वीरें भेजने के प्रमाण मिले हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव और आगे की जांच
पठान खान की गतिविधियाँ भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन चुकी थीं, विशेषकर जैसलमेर जैसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सीमा क्षेत्र में। उसकी गिरफ्तारी के बाद उसे जयपुर के संयुक्त पूछताछ केंद्र में भेजा गया, जहाँ केंद्रीय एजेंसियों ने उससे विस्तृत पूछताछ की। पुलिस का मानना है कि इस जासूसी नेटवर्क में और भी लोग शामिल हो सकते हैं, जिनकी तलाश जारी है।
स्थानीय प्रतिक्रिया और सुरक्षा उपाय
जैसलमेर के सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोग इस घटना के बाद सतर्क हो गए हैं। स्थानीय निवासियों ने भारतीय सेना को हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया है। कुछ गांवों में बंकर बनाए गए हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति में नागरिकों और सुरक्षा बलों को सुरक्षा प्रदान की जा सके।
यह घटना भारत में आंतरिक सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों की सतर्कता का प्रमाण है, जिन्होंने समय रहते एक बड़े खतरे को टाल दिया। हालांकि, यह भी स्पष्ट करता है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में जासूसी गतिविधियाँ अब भी एक गंभीर चुनौती बनी हुई हैं, जिनसे निपटने के लिए सतत निगरानी और कड़ी सुरक्षा उपाय आवश्यक हैं।