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11-08-2025 Vol 19

“पहले गाली-गलौच की, फिर बाल पकड़कर थप्पड़ और लात-घूंसे मारे; पूरी घटना का वीडियो वायरल हुआ।

हरियाणा के पलवल जिले के दूधौला गांव स्थित विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय (Vishwakarma Skill University) में कंप्यूटर इंजीनियरिंग की डिप्लोमा छात्रा वर्षा के साथ जो घटना घटी, उसने न केवल विश्वविद्यालय परिसर की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए, बल्कि छात्र-छात्राओं के बीच बढ़ती हिंसा और प्रशासनिक लापरवाही को भी उजागर किया है। वर्षा, जो कि एक मेहनती और होनहार छात्रा मानी जाती है, ने अपनी शिकायत में जिस प्रकार से मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना, प्रशासनिक दबाव और जातिगत अपमान का उल्लेख किया है, वह अत्यंत गंभीर और चिंताजनक है।

घटना का क्रमवार विवरण

1. प्रारंभिक प्रताड़ना और अभद्र भाषा का प्रयोग

वर्षा के अनुसार, 18 मई 2025 को क्लास के दौरान एक छात्र हर्षित ने उसके साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किया। न केवल अपशब्द कहे गए, बल्कि उसे जबरन क्लासरूम से बाहर भी धकेल दिया गया। यह घटना क्लास में उपस्थित अन्य छात्रों के सामने हुई, जिससे वर्षा को मानसिक आघात पहुंचा। वर्षा ने तुरंत क्लास में मौजूद महिला टीचर रितु राणा से शिकायत की, लेकिन टीचर ने न तो कोई कार्रवाई की, न ही वर्षा की बात को गंभीरता से लिया। इससे साफ जाहिर होता है कि विश्वविद्यालय में छात्राओं की सुरक्षा और सम्मान को लेकर लापरवाही बरती जा रही है।

2. प्रशासनिक लापरवाही और दबाव

घटना के बाद जब वर्षा ने लिखित शिकायत देने की कोशिश की, तो सिक्योरिटी स्टाफ और एक अन्य शिक्षक ने उस पर दबाव बनाया कि वह ऐसा न करे। वर्षा के अनुसार, उसे धमकी दी गई कि अगर उसने सच्चाई उजागर की, तो उसे विश्वविद्यालय से निष्कासित कर दिया जाएगा। यह न केवल प्रशासनिक लापरवाही है, बल्कि पीड़िता के अधिकारों का सीधा हनन भी है। विश्वविद्यालय जैसे शिक्षा संस्थान में, जहां छात्रों को न्याय और सुरक्षा की गारंटी मिलनी चाहिए, वहां इस प्रकार का दबाव और धमकी देना अत्यंत निंदनीय है।

3. दूसरी घटना: शारीरिक हमला

28 मई 2025 को, वर्षा पर एक और हमला हुआ। इस बार क्लास में ही कुछ छात्राओं—पिंकी, चांदनी, तनीशा, सोनू और एक अन्य—ने उसे घेर लिया और बाल खींचकर, थप्पड़, घूंसे और लातों से उसकी पिटाई की। इस दौरान आरोपी छात्र हर्षित ने पूरी घटना का वीडियो रिकॉर्ड किया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। वीडियो के वायरल होने से न केवल वर्षा की निजता का हनन हुआ, बल्कि उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा भी प्रभावित हुई।

4. जातिसूचक शब्दों का प्रयोग

हमले के बाद जब वर्षा घर लौट रही थी, तो गेट पर कुछ छात्रों ने उसके खिलाफ जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया। वर्षा ने अपनी शिकायत में सागर, सौरव, हैप्पी, पुनीत और निशांत नामक छात्रों को भी इस घटना का जिम्मेदार बताया है। जातिसूचक गालियों का प्रयोग भारतीय कानून के तहत गंभीर अपराध है, और इस पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

5. पुलिस और प्रशासन की भूमिका

वर्षा के पिता महेश ने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन पुलिस की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं दिया, उल्टा उनकी बेटी को कॉलेज आने से रोक दिया गया। विश्वविद्यालय प्रवक्ता राजेश चौहान ने कहा कि मामला छात्रों के बीच का है और इसकी जांच प्रॉक्टर कुलवंत सिंह द्वारा की जा रही है। गदपुरी थाना प्रभारी अश्वनी ने भी कहा कि पुलिस जांच रिपोर्ट आने के बाद ही अगली कार्रवाई करेगी।

सामाजिक और कानूनी पहलू

1. महिला सुरक्षा और विश्वविद्यालयों की जिम्मेदारी

विश्वविद्यालय परिसर में छात्राओं की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए। किसी भी प्रकार की हिंसा, अभद्रता या मानसिक प्रताड़ना को नजरअंदाज करना न केवल नैतिक रूप से गलत है, बल्कि यह कानूनन भी अपराध है। विश्वविद्यालय प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह हर शिकायत को गंभीरता से ले और पीड़िता को सुरक्षा और न्याय दिलाए।

2. जातिवाद और सामाजिक भेदभाव

जातिसूचक शब्दों का प्रयोग भारतीय संविधान और कानून के तहत दंडनीय अपराध है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई का प्रावधान है। वर्षा के मामले में भी, अगर आरोप सही पाए जाते हैं, तो दोषियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।

3. साइबर अपराध और निजता का उल्लंघन

हमले का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल करना न केवल पीड़िता की निजता का उल्लंघन है, बल्कि यह साइबर अपराध की श्रेणी में भी आता है। आईटी एक्ट के तहत ऐसे मामलों में भी सख्त सजा का प्रावधान है।

4. प्रशासनिक लापरवाही

शिक्षकों और सिक्योरिटी स्टाफ द्वारा शिकायत को अनसुना करना, दबाव डालना, या धमकी देना—ये सभी गंभीर प्रशासनिक लापरवाही के उदाहरण हैं। ऐसे मामलों में संबंधित अधिकारियों के खिलाफ भी जांच और कार्रवाई होनी चाहिए।

पीड़िता की स्थिति और मानसिक प्रभाव

वर्षा जैसी छात्राओं के लिए ऐसी घटनाएं न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक रूप से भी अत्यंत पीड़ादायक होती हैं। शैक्षणिक संस्थान में, जहां छात्र-छात्राओं को सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण मिलना चाहिए, वहां इस प्रकार की घटनाएं उनके आत्मविश्वास और भविष्य पर गहरा असर डालती हैं। वर्षा ने अपनी शिकायत में स्पष्ट किया है कि उसे लगातार मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी, जिससे उसकी पढ़ाई और मानसिक स्थिति दोनों प्रभावित हुईं।

विश्वविद्यालय प्रशासन की भूमिका

विश्वविद्यालय प्रशासन की भूमिका इस पूरे मामले में संदिग्ध रही है। शिकायत मिलने के बाद भी न तो त्वरित कार्रवाई की गई, न ही पीड़िता को सुरक्षा दी गई। उल्टा, वर्षा को कॉलेज आने से रोक दिया गया, जो कि दोहरी सजा के समान है। विश्वविद्यालय प्रवक्ता ने मामले को छात्रों के बीच का मामूली विवाद बताकर टालने की कोशिश की, जबकि यह एक गंभीर अपराध है।

पुलिस की भूमिका और जांच प्रक्रिया

पुलिस ने भी मामले में तत्परता नहीं दिखाई। पीड़िता के पिता द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बावजूद, पुलिस ने जांच रिपोर्ट आने तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया। ऐसे मामलों में पुलिस की निष्क्रियता से पीड़ित परिवार की उम्मीदें टूट जाती हैं और दोषियों के हौसले बुलंद हो जाते हैं।

सोशल मीडिया और वायरल वीडियो का प्रभाव

इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने से पूरे मामले ने तूल पकड़ लिया। वीडियो वायरल होने से न केवल विश्वविद्यालय प्रशासन और पुलिस पर दबाव बढ़ा, बल्कि समाज में भी चर्चा शुरू हो गई कि आखिर शैक्षणिक संस्थानों में छात्राओं की सुरक्षा को लेकर कितनी गंभीरता बरती जा रही है। हालांकि, वायरल वीडियो से पीड़िता की निजता का हनन भी हुआ, जिससे उसकी मानसिक स्थिति और खराब हो सकती है।

समाज में संदेश और सुधार की आवश्यकता

इस घटना ने समाज को एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हमारे शैक्षणिक संस्थान वास्तव में छात्रों के लिए सुरक्षित हैं? क्या प्रशासन और पुलिस अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं? ऐसे मामलों में केवल दोषियों को सजा देना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि संस्थागत सुधार, जागरूकता अभियान, और छात्र-छात्राओं के लिए काउंसलिंग जैसी व्यवस्थाएं भी जरूरी हैं।

निष्कर्ष

हरियाणा के पलवल जिले की विश्वकर्मा कौशल यूनिवर्सिटी में वर्षा के साथ हुई घटना न केवल एक छात्रा के व्यक्तिगत अधिकारों का हनन है, बल्कि यह पूरे शिक्षा तंत्र, प्रशासन और समाज के लिए एक चेतावनी भी है। विश्वविद्यालय प्रशासन, पुलिस और समाज को मिलकर ऐसे मामलों में त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई और छात्रा ऐसी प्रताड़ना का शिकार न हो।

Deepak Rawat

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