सोशल मीडिया पर इन दिनों एक ट्रेन के कोच के भीतर दो कपल्स के सार्वजनिक रूप से आपत्तिजनक हरकतें करने का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि ट्रेन की बोगी यात्रियों से भरी हुई है, लेकिन दोनों कपल खुलेआम एक-दूसरे के साथ रोमांटिक और अश्लील व्यवहार कर रहे हैं। इस घटना ने यात्रियों को असहज कर दिया और सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है कि क्या सार्वजनिक स्थानों पर इस तरह का व्यवहार स्वीकार्य है।

सार्वजनिक स्थल पर अश्लीलता: सामाजिक और कानूनी दृष्टिकोण
भारतीय रेल को देश की लाइफलाइन कहा जाता है, जहां हर वर्ग, धर्म और उम्र के लोग सफर करते हैं। ऐसे में सार्वजनिक जगहों पर इस तरह का अशोभनीय व्यवहार न केवल बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए आपत्तिजनक है, बल्कि सामाजिक अनुशासन और जिम्मेदार नागरिकता पर भी सवाल खड़े करता है। कई यात्रियों और सोशल मीडिया यूजर्स ने रेलवे प्रशासन और सुरक्षा बल (RPF) से ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की मांग की है।
कानून क्या कहता है?
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 294 के तहत सार्वजनिक स्थान पर अश्लील हरकतें करना अपराध है, जिसमें तीन महीने तक की जेल, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। डिजिटल युग में यह कानून डिजिटल प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रही घटनाओं पर भी लागू होता है। इसके अलावा, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 के तहत भी इलेक्ट्रॉनिक रूप से अश्लील सामग्री प्रसारित करने पर दंड का प्रावधान है।
2023 में लागू भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 296 भी सार्वजनिक रूप से अश्लील कृत्य करने और ऐसे कृत्यों के प्रचार-प्रसार पर सख्त दंड का प्रावधान करती है। इन कानूनों का उद्देश्य सार्वजनिक नैतिकता और शिष्टाचार की रक्षा करना है।
समाज में प्रतिक्रिया
इस वीडियो के वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ लोगों ने इसे निजी स्वतंत्रता का मामला बताया, तो अधिकांश ने सार्वजनिक स्थान पर मर्यादा के उल्लंघन की आलोचना की। कई यूजर्स ने लिखा कि ट्रेन या मेट्रो जैसी जगहों पर इस तरह का व्यवहार न केवल अनुचित है, बल्कि समाज में गलत संदेश भी देता है।
रेलवे और प्रशासन की जिम्मेदारी
रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और अन्य संबंधित एजेंसियों को ऐसे मामलों में संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में सार्वजनिक स्थानों पर अनुशासन और सामाजिक मर्यादा बनी रहे। यात्रियों की निजता, बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए सार्वजनिक आचार-व्यवहार पर नियंत्रण आवश्यक है।
निष्कर्ष
सार्वजनिक स्थलों पर व्यक्तिगत व्यवहार में अनुशासन और सामाजिक मर्यादा का पालन करना हर नागरिक की जिम्मेदारी है। आधुनिकता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के नाम पर सार्वजनिक स्थानों पर अश्लीलता को बढ़ावा देना कानूनन अपराध है और इससे समाज में गलत संदेश फैलता है। ऐसे मामलों में कानून के तहत सख्त कार्रवाई संभव है, जिससे सार्वजनिक शिष्टाचार और गरिमा बनी रहे।