मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में एक महिला सब इंस्पेक्टर के साथ कथित “लव जिहाद” का मामला सामने आया है, जिसने पुलिस महकमे और समाज दोनों को झकझोर दिया है। यह मामला न सिर्फ एक महिला पुलिस अधिकारी के जीवन से जुड़ा है, बल्कि राज्य में लागू धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम और लव जिहाद कानून की गंभीरता, सामाजिक प्रभाव और कानूनी प्रक्रिया को भी उजागर करता है।

मामले का पूरा घटनाक्रम
रायसेन जिले में तैनात महिला सब इंस्पेक्टर की मुलाकात 2018 में भोपाल के जहांगीराबाद इलाके में एक कैफे संचालक युवक से हुई। युवक ने अपना नाम “अमन” बताया और दोस्ती के बाद दोनों के बीच प्रेम संबंध बन गए। उस वक्त महिला पुलिस कांस्टेबल थी और सब इंस्पेक्टर परीक्षा की तैयारी कर रही थी। दोनों ने बाद में शादी कर ली और एक बच्चा भी हुआ।
सच का खुलासा
शादी के करीब दो साल बाद, 2020 में महिला के घर एक पत्र आया, जिस पर उसके पति का नाम “इश्तियाक अहमद” लिखा था। यह देखकर महिला के होश उड़ गए, क्योंकि उसने अपने पति को हमेशा “अमन” नाम से ही जाना था। पत्र की जांच करने पर पता चला कि उसका असली नाम इश्तियाक अहमद है और उसने पहचान छुपाकर शादी की थी।
शादी और बच्चे की मजबूरी के कारण महिला कुछ समय तक आरोपी के साथ रही, लेकिन धीरे-धीरे आरोपी ने उसके साथ मारपीट और प्रताड़ना शुरू कर दी। आखिरकार, फरवरी 2025 में महिला ने मंडीदीप थाने में आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना और धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
कानूनी पहलू और सरकार की सख्ती
मध्य प्रदेश में 2021 में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम पारित किया गया था, जिसमें जबरन, धोखाधड़ी या पहचान छुपाकर धर्म परिवर्तन और शादी को अपराध माना गया है। इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर 10 साल तक की जेल और 50,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। यदि शादी धोखाधड़ी से की गई है, तो उसे अमान्य घोषित किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने हाल ही में कहा है कि जबरन धर्म परिवर्तन करने वालों के लिए मौत की सजा तक का प्रावधान किया जाएगा और ऐसे अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा। राज्य में लव जिहाद के मामलों पर लगातार सख्ती बरती जा रही है और पुलिस को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
सामाजिक और कानूनी बहस
देश के कई राज्यों-उत्तर प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा, झारखंड और मध्य प्रदेश-में ऐसे कानून लागू हैं। हालांकि, इन कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी गई है, जहाँ दलील दी गई है कि आपसी सहमति से विवाह करने वाले भी इन कानूनों के दायरे में आ रहे हैं, जिससे व्यक्तिगत स्वतंत्रता और पर्सनल लॉ प्रभावित हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी दबाव या प्रभाव डालकर धर्मांतरण को लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा बताया है।
महिला सब इंस्पेक्टर की आपबीती
पीड़ित महिला सब इंस्पेक्टर ने पुलिस को बताया कि शादी के बाद आरोपी ने न सिर्फ अपनी असलियत छुपाई, बल्कि शादी के बाद मारपीट और प्रताड़ना भी शुरू कर दी। बच्चा होने के बावजूद आरोपी का व्यवहार नहीं बदला। जब महिला ने अलग रहना शुरू किया, तो आरोपी फरवरी 2025 में उसके घर पहुंचा और फिर से मारपीट की। इसके बाद महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद आरोपी को गिरफ्तार किया गया।
निष्कर्ष
यह मामला दर्शाता है कि कठोर कानून और लगातार पुलिस कार्रवाई के बावजूद, पहचान छुपाकर शादी और कथित लव जिहाद के मामले सामने आ रहे हैं। राज्य सरकारें ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई कर रही हैं और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए कानून को लगातार मजबूत किया जा रहा है। यह घटना समाज के लिए भी एक चेतावनी है कि विवाह जैसे संवेदनशील फैसलों में पारदर्शिता और सतर्कता बेहद जरूरी है, ताकि किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी या शोषण से बचा जा सके।