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06-08-2025 Vol 19

पति अपनी प्रेमिका के साथ अय्याशी कर रहा था, तभी पत्नी ने पीछा कर वहां पहुंचकर दोनों को रंगे हाथ पकड़ लिया।

उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर के नौचंदी थाना क्षेत्र में हाल ही में एक ऐसा वाकया सामने आया जिसने न केवल स्थानीय लोगों को, बल्कि सोशल मीडिया पर भी लोगों को हैरान कर दिया। एक शादीशुदा युवक अपनी प्रेमिका के साथ रंगरलियां मना रहा था, तभी उसकी पत्नी ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया। इसके बाद जो हुआ, उसने रिश्तों, समाज और कानून, तीनों के समीकरणों को झकझोर कर रख दिया। यह घटना केवल एक परिवार की निजी समस्या नहीं रही, बल्कि यह हमारे समाज में बदलते रिश्तों, भरोसे, और सामाजिक मूल्यों पर भी सवाल खड़े करती है। आइए, इस पूरे घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं।

घटना का क्रम

शक की शुरुआत

शास्त्रीनगर निवासी शहजाद की शादी शायमा से 16 साल पहले हुई थी। दोनों के दो बच्चे भी हैं। शादी के इतने सालों बाद, शायमा को अपने पति की हरकतों पर शक होने लगा था। शहजाद का व्यवहार बदल गया था, वह अक्सर घर से बाहर रहने लगा था, और पत्नी से दूरी बनाने लगा था। शायमा को लगने लगा कि उसके पति की जिंदगी में कोई और आ गया है।

सच का पता लगाने की कोशिश

कई दिनों तक शायमा ने अपने पति की गतिविधियों पर नजर रखी। उसने अपने जीजा की मदद ली और शहजाद का पीछा करना शुरू किया। आखिरकार, गुरुवार के दिन, जब शहजाद घर से निकला, शायमा ने अपने जीजा के साथ उसका पीछा किया।

रंगे हाथों पकड़ना

शहजाद रामबाग कॉलोनी में एक किराए के मकान में गया, जहां उसकी प्रेमिका पहले से मौजूद थी। जैसे ही शायमा वहां पहुंची, उसने अपने पति को प्रेमिका के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया। यह दृश्य देखकर शायमा का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। उसने अपना आपा खो दिया और सीधे अपनी पति की प्रेमिका पर टूट पड़ी। शायमा ने प्रेमिका के बाल पकड़कर उसकी पिटाई शुरू कर दी।

भीड़ और पुलिस की एंट्री

शोर-शराबा सुनकर आसपास के लोग भी मौके पर जमा हो गए। देखते ही देखते वहां भीड़ इकट्ठा हो गई। किसी ने पुलिस को सूचना दी, और नौचंदी थाना पुलिस मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने स्थिति को संभालने की कोशिश की और शहजाद को हिरासत में ले लिया।

पारिवारिक और सामाजिक पहलू

पत्नी का दर्द

शायमा के लिए यह घटना किसी सदमे से कम नहीं थी। उसने अपने पति पर भरोसा किया था, उसके साथ 16 साल बिताए थे, और दो बच्चों की मां थी। लेकिन पति की बेवफाई ने उसके दिल को तोड़ दिया। शायमा ने गुस्से और दुख में प्रेमिका की पिटाई करते हुए बार-बार चिल्लाकर कहा, “इस लड़की ने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी। जाओ, मेरे बच्चों को भी लेकर आओ, वो भी अपने पिता की करतूत देखें। मैं घर पर मरती रही और यह अय्याशी करता रहा।”

पति की सफाई और प्रेमिका का रवैया

शहजाद ने अपनी पत्नी को समझाने की बहुत कोशिश की। वह बार-बार कहता रहा कि बैठकर बात कर लेंगे, लेकिन शायमा ने उसकी एक न सुनी। वहीं, प्रेमिका भी पीछे हटने को तैयार नहीं थी। उसने भी पत्नी को धमकियां दीं और युवक के साथ रहने की जिद पर अड़ी रही।

पंचायत और सामाजिक दबाव

कुछ दिन पहले, जब शायमा को अपने पति की बेवफाई का पता चला था, तब दोनों परिवारों के बीच पंचायत भी हुई थी। पंचायत में शहजाद ने वादा किया था कि वह अपनी प्रेमिका से दूर रहेगा। कुछ दिन तक सब ठीक रहा, लेकिन फिर वही सब शुरू हो गया।

पुलिसिया कार्रवाई और कानूनी पहलू

पुलिस की भूमिका

घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शहजाद को हिरासत में ले लिया। शायमा ने अपने पति और उसकी प्रेमिका के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने दोनों पक्षों से बातचीत की और मामले की जांच शुरू कर दी।

थाने में नोकझोंक

पुलिस स्टेशन में भी दोनों पक्षों के बीच जमकर नोकझोंक हुई। प्रेमिका युवक के साथ रहने की जिद पर अड़ी रही, जबकि पत्नी ने अपने पति को वापस पाने की मांग की। पुलिस ने दोनों पक्षों को समझाने की कोशिश की और कहा कि तहरीर मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

कानूनी दृष्टिकोण

भारत में विवाहेतर संबंध (adultery) अब अपराध नहीं है, लेकिन यह तलाक का आधार जरूर बन सकता है। सुप्रीम कोर्ट के 2018 के फैसले के बाद, IPC की धारा 497 को खत्म कर दिया गया है। अब पत्नी अपने पति के खिलाफ विवाहेतर संबंध के लिए आपराधिक मामला नहीं दर्ज करा सकती, लेकिन तलाक और बच्चों की कस्टडी के लिए इसे आधार बना सकती है।

सामाजिक और मनोवैज्ञानिक विश्लेषण

रिश्तों में विश्वास और संवाद की कमी

इस घटना ने यह दिखा दिया कि जब रिश्तों में विश्वास की डोर कमजोर पड़ जाती है, तो परिवार टूटने की कगार पर पहुंच जाता है। शहजाद और शायमा के बीच संवाद की कमी, आपसी विश्वास का टूटना, और सामाजिक दबाव ने स्थिति को और बिगाड़ दिया।

बच्चों पर असर

दोनों के दो बच्चे हैं, जिनकी उम्र 4 और 5 साल है। ऐसी घटनाओं का बच्चों की मानसिकता पर गहरा असर पड़ता है। वे माता-पिता के झगड़े, मारपीट और पुलिस कार्रवाई को देखकर डरे-सहमे रहते हैं, जिससे उनका बचपन प्रभावित होता है।

समाज की भूमिका

समाज में ऐसे मामलों को लेकर अक्सर महिला को ही दोषी ठहराया जाता है, या फिर पुरुष की गलती को नजरअंदाज कर दिया जाता है। लेकिन अब समय बदल रहा है। महिलाएं अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा रही हैं, और समाज भी ऐसे मामलों में संवेदनशीलता दिखा रहा है।

सोशल मीडिया और वायरल वीडियो

इस घटना के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए हैं। लोग तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। कुछ लोग पत्नी के साहस की तारीफ कर रहे हैं, तो कुछ लोग पति की आलोचना कर रहे हैं। वहीं, कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि ऐसे निजी मामलों को सार्वजनिक नहीं करना चाहिए।

समाधान और आगे की राह

संवाद और काउंसलिंग

ऐसे मामलों में सबसे जरूरी है संवाद। पति-पत्नी को आपस में बैठकर अपनी समस्याओं पर खुलकर बात करनी चाहिए। अगर जरूरत हो तो काउंसलर या मनोवैज्ञानिक की मदद लेनी चाहिए।

कानूनी सलाह

अगर मामला सुलझ नहीं रहा है, तो दोनों पक्षों को कानूनी सलाह लेनी चाहिए। बच्चों की भलाई को ध्यान में रखते हुए फैसला लेना चाहिए।

समाज की जिम्मेदारी

समाज को भी ऐसे मामलों में संवेदनशीलता दिखानी चाहिए। पीड़ित महिला को सहयोग और समर्थन देना चाहिए, न कि उसे दोषी ठहराना चाहिए।

निष्कर्ष

मेरठ की यह घटना केवल एक परिवार की कहानी नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज में बदलते रिश्तों, विश्वास, और सामाजिक मूल्यों की भी कहानी है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि रिश्तों में संवाद, विश्वास और पारदर्शिता कितनी जरूरी है।

अगर पति-पत्नी के बीच संवाद बना रहे, तो ऐसे हालात शायद कभी न आएं। लेकिन जब संवाद टूट जाता है, तो परिवार, बच्चे और समाज, सभी प्रभावित होते हैं।

इस घटना ने यह भी दिखा दिया कि महिलाएं अब अपने अधिकारों के लिए खड़ी हो रही हैं, और समाज भी धीरे-धीरे बदल रहा है। जरूरत है कि हम ऐसे मामलों को संवेदनशीलता से लें, और पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने में सहयोग करें।

Deepak Rawat

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